10 Place To Visit In Lucknow
10 Place To Visit In Lucknow
अगर आप लखनऊ में रहते हो या दीदार-ए-अवध के लिए लखनऊ घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यहाँ आपके लिए मै लखनऊ में सैर करने और घूमने के लिए बताऊंगा 10 ऐसी जगह जहाँ घूमने के बाद आप भी लखनऊ के दीवाने हो जाएंगे, तो आइए जानते है इन जगहों के बारे में:-
1.भूलभुलैया (बड़ा-इमामबाड़ा)
बड़ा-इमामबाड़ा एक ऐतिहासिक इमारत है जिसे भूलभुलैया के नाम से भी जाना जाता है। अवध के नवाब, नवाब असफ-उद्द्दौला ने इसका निर्माण 1784 ई. में करवाया था। बड़ा-इमामबाड़ा पर्शियन वास्तुकला का एक अद्भुत उदहारण है, जो बिना किसी धातु के इस्तेमाल से बनाया गया है। बड़ा-इमामबाड़ा को भूलभुलैया के नाम से भी जाना जाता है, वो इसलिए क्योंकि व्यक्ति एक बार इसके अंदर चला जाए तो बाहर निकलने में उसके पसीनें छूट जाते हैं, जो की बड़ा ही रोमांचक भी होता है। माना जाता है की भूलभुलैया के छत तक पहुँचने के लिए कुल 1024 दरवाजें है लेकिन बाहर निकलने का मात्र एक रास्ता है। बड़ा-इमामबाड़ा के दूसरी तल से आप अंदर आते हुए बाहर के लोगो को देख सकतें है लेकिन बाहर वाले सख्श को आप नज़र नही आओगे, ऐसे पुराने ज़माने का CCTV Camera भी कहा जाता है। इसे बनवाने का मुख्य उद्देश्य था, दुश्मन सैनिकों को गुमराह करना और बेरोज़गारी से तरप रही जनता को रोजगार देंना। इसके अंदर जगह जगह पर कई सुरंगे जो कहा जाता है कि दिल्ली, आगरा और इलाहाबाद तक जाती है।
अगर आप यहाँ घूमने जा रहे है तो कुछ जरूरी बातें जान लें:-
टिकट- ₹50
समय- 8AM-6PM
पता- रेलवे स्टेशन से 7KM की दुरी.
बड़ा-इमामबाड़ा एक ऐतिहासिक इमारत है जिसे भूलभुलैया के नाम से भी जाना जाता है। अवध के नवाब, नवाब असफ-उद्द्दौला ने इसका निर्माण 1784 ई. में करवाया था। बड़ा-इमामबाड़ा पर्शियन वास्तुकला का एक अद्भुत उदहारण है, जो बिना किसी धातु के इस्तेमाल से बनाया गया है। बड़ा-इमामबाड़ा को भूलभुलैया के नाम से भी जाना जाता है, वो इसलिए क्योंकि व्यक्ति एक बार इसके अंदर चला जाए तो बाहर निकलने में उसके पसीनें छूट जाते हैं, जो की बड़ा ही रोमांचक भी होता है। माना जाता है की भूलभुलैया के छत तक पहुँचने के लिए कुल 1024 दरवाजें है लेकिन बाहर निकलने का मात्र एक रास्ता है। बड़ा-इमामबाड़ा के दूसरी तल से आप अंदर आते हुए बाहर के लोगो को देख सकतें है लेकिन बाहर वाले सख्श को आप नज़र नही आओगे, ऐसे पुराने ज़माने का CCTV Camera भी कहा जाता है। इसे बनवाने का मुख्य उद्देश्य था, दुश्मन सैनिकों को गुमराह करना और बेरोज़गारी से तरप रही जनता को रोजगार देंना। इसके अंदर जगह जगह पर कई सुरंगे जो कहा जाता है कि दिल्ली, आगरा और इलाहाबाद तक जाती है।
अगर आप यहाँ घूमने जा रहे है तो कुछ जरूरी बातें जान लें:-
टिकट- ₹50
समय- 8AM-6PM
पता- रेलवे स्टेशन से 7KM की दुरी.
2. जनेश्वर मिश्र पार्क
समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र की समृति मे बनायी गयी यह पार्क लगभग 376 एकड़ में फैली हुई है, इसी कारण इसे एशिया का सबसे बड़ा पार्क होने का गौरव भी प्राप्त है। यह पार्क लखनऊ का एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र भी है। पार्क में लगे 207 फुट विशाल तिरंगा पार्क को अलग ही भव्यता प्रदान करता है। इसके अलावा इस पार्क में बेहद ही सूंदर झील का निर्माण किया गया है जिसमे की आप बोटिंग का भी लुत्फ़ उठा सकते है, यह काफी रोमांचक है। इसके अलावा पार्क में Gym, Kids Play Zone और छोटे बड़े कुल 10 से भी ज्यादा food court की सुविधा भी मौजूद है। इस पार्क में बागवानी का भी बेहद ही सूंदर नजारा देखने को मिलता है। पार्क में देशी विदेशी लगभग 50 से भी ज्यादा प्रजाति के पेड़-पौधे पार्क की सुंदरता में चार-चाँद लगातें हैं। पार्क में जगह-जगह पर लगे Imported mini speakers की धुन आपको बेहद ही सुखद अनुभव देंगी। काफी बड़ा होने के कारण पार्क के अंदर आप Cycling का भी मजा ले सकते हैं। यह पार्क फैमिली और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने, फोटोशूट और वीकेंड पर छुटियाँ मनाने के लिए बेहद सही जगह है।
समय-8am-8pm
टिकट- ₹10
Cycling- ₹20/hour
Boating- ₹20/ 20minutes
पता- रेलवे स्टेशन से 11km की दुरी।
समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र की समृति मे बनायी गयी यह पार्क लगभग 376 एकड़ में फैली हुई है, इसी कारण इसे एशिया का सबसे बड़ा पार्क होने का गौरव भी प्राप्त है। यह पार्क लखनऊ का एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र भी है। पार्क में लगे 207 फुट विशाल तिरंगा पार्क को अलग ही भव्यता प्रदान करता है। इसके अलावा इस पार्क में बेहद ही सूंदर झील का निर्माण किया गया है जिसमे की आप बोटिंग का भी लुत्फ़ उठा सकते है, यह काफी रोमांचक है। इसके अलावा पार्क में Gym, Kids Play Zone और छोटे बड़े कुल 10 से भी ज्यादा food court की सुविधा भी मौजूद है। इस पार्क में बागवानी का भी बेहद ही सूंदर नजारा देखने को मिलता है। पार्क में देशी विदेशी लगभग 50 से भी ज्यादा प्रजाति के पेड़-पौधे पार्क की सुंदरता में चार-चाँद लगातें हैं। पार्क में जगह-जगह पर लगे Imported mini speakers की धुन आपको बेहद ही सुखद अनुभव देंगी। काफी बड़ा होने के कारण पार्क के अंदर आप Cycling का भी मजा ले सकते हैं। यह पार्क फैमिली और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने, फोटोशूट और वीकेंड पर छुटियाँ मनाने के लिए बेहद सही जगह है।
समय-8am-8pm
टिकट- ₹10
Cycling- ₹20/hour
Boating- ₹20/ 20minutes
पता- रेलवे स्टेशन से 11km की दुरी।
3. अम्बेडकर पार्क
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के याद में मायावती सरकार द्वारा बनवाया पार्क बेहत ही खूबसूरत और विशाल भी है। weekend पर काभी भारी संख्या यहाँ पर्यटक घूमने पहुँचते है, पार्क में लगें कीमती विदेशी पत्थर पार्क की सुंदरता में चार चाँद लगातें है। इस पार्क में विदेशी कलाकृति का बेहद ही खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है। पार्क में अम्बेडकर memorial भवन का निर्माण किया गया है, जिसमे बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के स्मृतियों को संजोया गया है, घुमाओदार सीढ़ियों के जरीये आप इस इमारत के शीर्ष पर पहुँच सकतें हैं जहाँ से पार्क का भव्य और सुन्दर नजारा देखने को मिलता है। साथ ही इस पार्क में एक खूबसूरत हाथी-दीर्घा देखने को मिलता है जिसमें दर्जनों हाथियों की मूर्तियां दो कतारों में लगायी गयी है, जो देखने में बेहद ही आकर्षक लगता है।इसके अलावा पार्क में दो अलग अलग विशाल भवन का निर्माण किया गया है जिसमे भारत के महान नेताओं की मूर्तियां लगायी गयी है, इन भावनों को voice eco-system तकनीक के जरिये बनाया गया है जो बेहद दिलचस्प है। इसके साथ पार्क प्रांगण में एक अशोक स्तंभ भी बनाया गया है जो की आपको गोरवान्वित करता है।लखनऊ की खूबसूरती में चार चाँद लगाने में इस पार्क का अहम् योगदान है।
टिकट-10
समय-8am-8pm
पता- रेलवे स्टेशन से 8km की दुरी।
टिकट-10
समय-8am-8pm
पता- रेलवे स्टेशन से 8km की दुरी।
4. लखनऊ रेजिडेंसी
लखनऊ रेजीडेंसी को ब्रिटिश रेजीडेंसी से नाम से भी जाना जाता है। ब्रिटिश काल(19वीं शताब्दी) में यह अंग्रेजी अफसरों का आवास हुआ करता था, तथा लखनऊ में अंग्रेजो की सारी गतिविधियां यही से संचालित होती थीं, जिसके कारण इसका नाम ब्रिटिश रेजीडेंसी पड़ा। 1857 की क्रांति की गवाही रेजीडेंसी आज भी चीख चीख कर देती है। रेजीडेंसी के इमारतों पर बन्दूक की गोलियों और तोप के गोलों निशान आज भी देखने को मिलते है। 1857 की क्रांति में मारे गए हजारों अँग्रेजी सैनोको के शवों को इसी में दफनाया गया हैं। ब्रिटिश रेजीडेंसी लखनऊ के व्यस्ततम इलाके कैसरबाग में स्थित है। इसे बनने में 25 साल लगे थें, इसकी नींव सन 1775 में नवाब असफ-उद्दौला ने रखी थी और सन 1800 में नवाब सादत अली खान के शासन में बन कर तैयार हुआ। अगर आप ऐतहासिक जगहों पर जाना पसंद करतें है तो आपको एक बार ब्रिटिश रेजीडेंसी जरूर जाना चाहिए।
टिकट-10
समय- 7am-6pm
पता- रेलवे स्टेशन से 5km की दुरी पर।
लखनऊ रेजीडेंसी को ब्रिटिश रेजीडेंसी से नाम से भी जाना जाता है। ब्रिटिश काल(19वीं शताब्दी) में यह अंग्रेजी अफसरों का आवास हुआ करता था, तथा लखनऊ में अंग्रेजो की सारी गतिविधियां यही से संचालित होती थीं, जिसके कारण इसका नाम ब्रिटिश रेजीडेंसी पड़ा। 1857 की क्रांति की गवाही रेजीडेंसी आज भी चीख चीख कर देती है। रेजीडेंसी के इमारतों पर बन्दूक की गोलियों और तोप के गोलों निशान आज भी देखने को मिलते है। 1857 की क्रांति में मारे गए हजारों अँग्रेजी सैनोको के शवों को इसी में दफनाया गया हैं। ब्रिटिश रेजीडेंसी लखनऊ के व्यस्ततम इलाके कैसरबाग में स्थित है। इसे बनने में 25 साल लगे थें, इसकी नींव सन 1775 में नवाब असफ-उद्दौला ने रखी थी और सन 1800 में नवाब सादत अली खान के शासन में बन कर तैयार हुआ। अगर आप ऐतहासिक जगहों पर जाना पसंद करतें है तो आपको एक बार ब्रिटिश रेजीडेंसी जरूर जाना चाहिए।
टिकट-10
समय- 7am-6pm
पता- रेलवे स्टेशन से 5km की दुरी पर।
5.चन्द्रिका देवी मंदिर
यह माँ दुर्गा की एक पौराणिक मंदिर है, लखनऊ के मुख्य शहर से लगभग 25km दूर यह मंदिर गोमती नदी के तट पर बनी हुई है,साथ ही शहर के भागदौड़ और अशांत जिंदगी से दूर यह मंदिर चारो तरफ से प्राकृतिक वातावरण से घिरी हुई होने कारण यहाँ की माहौल को और भी मनमोहक बना देती है। माना जाता है कि लक्षमण जी के पुत्र चंद्रकेतु ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। नवरात्री के दिनों में यहाँ की रौनक देखने ही लायक होती है। भक्तों के लिए प्रत्येक मास की अमावस्या को मेला लगता था, जिसकी परम्परा आज भी जारी है। श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए माँ के दरबार में आकर मन्नत माँगते हैं, चुनरी की गाँठ बाँधते हैं तथा मनोकामना पूरी होने पर माँ को चुनरी, प्रसाद चढ़ाकर मंदिर परिसर में घण्टा बाँधते हैं। अमीर हो अथवा गरीब, अगड़ा हो अथवा पिछड़ा, माँ चन्द्रिका देवी के दरबार में सभी को समान अधिकार है। आप भी एक बार जरूर इस मनमोहक जगह पर जाए।
पता- सीतापुर रोड, बक्शी का तालाब से 11 km दूर।
यह माँ दुर्गा की एक पौराणिक मंदिर है, लखनऊ के मुख्य शहर से लगभग 25km दूर यह मंदिर गोमती नदी के तट पर बनी हुई है,साथ ही शहर के भागदौड़ और अशांत जिंदगी से दूर यह मंदिर चारो तरफ से प्राकृतिक वातावरण से घिरी हुई होने कारण यहाँ की माहौल को और भी मनमोहक बना देती है। माना जाता है कि लक्षमण जी के पुत्र चंद्रकेतु ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। नवरात्री के दिनों में यहाँ की रौनक देखने ही लायक होती है। भक्तों के लिए प्रत्येक मास की अमावस्या को मेला लगता था, जिसकी परम्परा आज भी जारी है। श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए माँ के दरबार में आकर मन्नत माँगते हैं, चुनरी की गाँठ बाँधते हैं तथा मनोकामना पूरी होने पर माँ को चुनरी, प्रसाद चढ़ाकर मंदिर परिसर में घण्टा बाँधते हैं। अमीर हो अथवा गरीब, अगड़ा हो अथवा पिछड़ा, माँ चन्द्रिका देवी के दरबार में सभी को समान अधिकार है। आप भी एक बार जरूर इस मनमोहक जगह पर जाए।
पता- सीतापुर रोड, बक्शी का तालाब से 11 km दूर।
6. गोमती रिवर फ्रंट
गोमती रिवर फ्रंट लखनऊ के दिल में बसे गोमती नगर में बहने वाली नदी गोमती के किनारे बनवा गया अद्भुत जगह हैं जहाँ आप दोस्तों परिवार और रिश्तेदारों के साथ घूमने जा सकते हैं। गोमती रिवर फ्रंट अधुनिक वस्तुकला का अनोखा उदहारण है। यहाँ शाम के वक्त यहाँ का नज़ारा बहुत ही मनमोहक होता है, रंग-बिरंगी ऊँची-ऊँची उठती झरनों की लहर, इसकी सुंदरता में चार चाँद लगातें है।
पता- रेलवे स्टेशन से 10km की दुरी।
गोमती रिवर फ्रंट लखनऊ के दिल में बसे गोमती नगर में बहने वाली नदी गोमती के किनारे बनवा गया अद्भुत जगह हैं जहाँ आप दोस्तों परिवार और रिश्तेदारों के साथ घूमने जा सकते हैं। गोमती रिवर फ्रंट अधुनिक वस्तुकला का अनोखा उदहारण है। यहाँ शाम के वक्त यहाँ का नज़ारा बहुत ही मनमोहक होता है, रंग-बिरंगी ऊँची-ऊँची उठती झरनों की लहर, इसकी सुंदरता में चार चाँद लगातें है।
पता- रेलवे स्टेशन से 10km की दुरी।
7. नवाब वाज़िद अली शाह चिड़ियाघर
यह चिड़ियाघर भी भारत के अन्य चिड़ियाघरों के तरह ही है जहाँ अनेक प्रजाति के जानवर देखने को मिलते हैं, परंतु ठहरिये साहब नवाबो का शहर है यहाँ चीजे इतनी भी मामूली नही होती, इस चिड़ियाघर की कई ऐसी खासियत है जो आपको जरूर जानना चाहिये,और उसे देखने जाना भी चाहिए। यहाँ हर साल लगभग 11लाख लोग घूमने आते है,इस चिड़ियाघर में 450 से भी ज्यादा प्रजाति के जानवर और 298 प्रजाति के पक्षी रहते है। यह 7.5 एकड़ में फैली हुई है जिसमे घूमने के लिए बच्चों के लिए बाल ट्रेन भी है, जिसे 1969 में शुरू किया गया था, काफी पुरानी हो जाने के चलते 2014 इस ट्रेन को बदलकर नया ट्रैन शुरू किया गया। इस चिड़ियाघर के अंदर एक संग्रहालय(museum) भी है जो अवध के विरासत को संजोय हुए है, इस संग्रहालय में Egyptians mummy आकर्षण का केंद्र है, इसी संग्रहालय के प्रांगण में USSR द्वारा भारत को उपहार में दिया गया हवाई-जहाज(राजहंस TU 24) भी रखा गया है जो भारत और सोवियत संघ के दोस्ती का प्रतिक है।
टिकट-60/व्यक्ति
पता- रेलवे स्टेशन से 4km दूर
यह चिड़ियाघर भी भारत के अन्य चिड़ियाघरों के तरह ही है जहाँ अनेक प्रजाति के जानवर देखने को मिलते हैं, परंतु ठहरिये साहब नवाबो का शहर है यहाँ चीजे इतनी भी मामूली नही होती, इस चिड़ियाघर की कई ऐसी खासियत है जो आपको जरूर जानना चाहिये,और उसे देखने जाना भी चाहिए। यहाँ हर साल लगभग 11लाख लोग घूमने आते है,इस चिड़ियाघर में 450 से भी ज्यादा प्रजाति के जानवर और 298 प्रजाति के पक्षी रहते है। यह 7.5 एकड़ में फैली हुई है जिसमे घूमने के लिए बच्चों के लिए बाल ट्रेन भी है, जिसे 1969 में शुरू किया गया था, काफी पुरानी हो जाने के चलते 2014 इस ट्रेन को बदलकर नया ट्रैन शुरू किया गया। इस चिड़ियाघर के अंदर एक संग्रहालय(museum) भी है जो अवध के विरासत को संजोय हुए है, इस संग्रहालय में Egyptians mummy आकर्षण का केंद्र है, इसी संग्रहालय के प्रांगण में USSR द्वारा भारत को उपहार में दिया गया हवाई-जहाज(राजहंस TU 24) भी रखा गया है जो भारत और सोवियत संघ के दोस्ती का प्रतिक है।
टिकट-60/व्यक्ति
पता- रेलवे स्टेशन से 4km दूर
8.अमीनाबाद
अमीनाबाद लखनऊ भीड़भाड़ वाले जगहों में से एक है, ये अपनी सकड़ी और तंग गलियों के लिए भी जाना जाता है, किसी जमाने में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी का सुबह भी यहीं हुआ करता था और शाम भी यहीं। अमीनाबाद के बाजार में आपको कपडे मेकअप से लेकर कॉपी किताब, मसालों इत्यादि की दुकानें बड़ी ही आसानी से मिल जाएंगी। अगर आप लजीज और चटाकेदार खानों के शौक़ीन है तो आपको अमीनाबाद के street foods के लज़ीज स्वाद का आनंद भी जरूर उठाना चाहिए। लखनऊ में शॉपिंग के लिए यह एक अच्छा जगह है।
पता- रेलवे स्टेशन से 3km दूर।
अमीनाबाद लखनऊ भीड़भाड़ वाले जगहों में से एक है, ये अपनी सकड़ी और तंग गलियों के लिए भी जाना जाता है, किसी जमाने में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी का सुबह भी यहीं हुआ करता था और शाम भी यहीं। अमीनाबाद के बाजार में आपको कपडे मेकअप से लेकर कॉपी किताब, मसालों इत्यादि की दुकानें बड़ी ही आसानी से मिल जाएंगी। अगर आप लजीज और चटाकेदार खानों के शौक़ीन है तो आपको अमीनाबाद के street foods के लज़ीज स्वाद का आनंद भी जरूर उठाना चाहिए। लखनऊ में शॉपिंग के लिए यह एक अच्छा जगह है।
पता- रेलवे स्टेशन से 3km दूर।
9. आंचलिक विज्ञानं केंद्र
यह लखनऊ के अलीगंज में मौजूद बहोत ही अच्छा साइंस पार्क है। यह पार्क बच्चो के साथ साथ बड़ो को भी काफी पसंद आता है, यहाँ लोग खेल खेल में ही विज्ञानं की कई कठिन बातो को आसानी से सिख जातें है। यहाँ cimax और short 3-D फिल्मो के भी शो होते है, जो बच्चों के पाठ्यक्रम पर आधारित चीजों को मनोरंजन तरीके से बच्चों को सिखाती है। अगर आप भी विज्ञान में दिलचस्पी रखते है तो आपको यह जरूर जाना चाहिए।
यह लखनऊ के अलीगंज में मौजूद बहोत ही अच्छा साइंस पार्क है। यह पार्क बच्चो के साथ साथ बड़ो को भी काफी पसंद आता है, यहाँ लोग खेल खेल में ही विज्ञानं की कई कठिन बातो को आसानी से सिख जातें है। यहाँ cimax और short 3-D फिल्मो के भी शो होते है, जो बच्चों के पाठ्यक्रम पर आधारित चीजों को मनोरंजन तरीके से बच्चों को सिखाती है। अगर आप भी विज्ञान में दिलचस्पी रखते है तो आपको यह जरूर जाना चाहिए।
10. दिलकुशा कोठ
दिलकुशा कोठी एक ऐतिहासिक बंगला है जिसे 19वीं सदी में अंग्रेजो द्वारा बनवाया गया था, यह अंग्रेजी अधिकारियो बंगला हुआ करता था। इसके आंगन को दिकुशा गार्डन भी कहते हैं। सालो पुराना हो जाने के कारण यह इमारत अब जर्जर हो चूका है परंतु अपने इतिहास को समेटे हुए यह लोगो को आज भी आजादी के दास्तां सुनाता है। 1857 के क्रांति की आग इस बंगले तक भी पहुची थी और तोप के गोलों का सामना भी करना पड़ा था। यह पिकनिक बगैरा एक लिए एक अच्छा जगह है, यहाँ का शांत माहौल आपको शुकून देगी।
पता- रेलवे स्टेशन से 5km दूर।
दिलकुशा कोठी एक ऐतिहासिक बंगला है जिसे 19वीं सदी में अंग्रेजो द्वारा बनवाया गया था, यह अंग्रेजी अधिकारियो बंगला हुआ करता था। इसके आंगन को दिकुशा गार्डन भी कहते हैं। सालो पुराना हो जाने के कारण यह इमारत अब जर्जर हो चूका है परंतु अपने इतिहास को समेटे हुए यह लोगो को आज भी आजादी के दास्तां सुनाता है। 1857 के क्रांति की आग इस बंगले तक भी पहुची थी और तोप के गोलों का सामना भी करना पड़ा था। यह पिकनिक बगैरा एक लिए एक अच्छा जगह है, यहाँ का शांत माहौल आपको शुकून देगी।
पता- रेलवे स्टेशन से 5km दूर।
दोस्तों ये थें लखनऊ के 10 जगह जहाँ आपको घूमने जाना चाहिए, हमारा ये ब्लॉग आपको कैसा लगा कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताएं।
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